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सतरसमं अज्झयणं
१४७ दवदवस्स चरई पमत्ते य अभिक्खणं । .. उल्लंघणे य चण्डे य पावसमणि त्ति वुच्चई ।।८।। पडिलेहेइ पमत्ते अवउज्झइ पायकम्बलं । पडिलेहणाअणाउत्ते पावसमणि त्ति वुच्चई ।।६।। पडिलेहेइ पमत्ते से किंचि ह निसामिया। गुरुपरिभावए निच्चं पावसमणि त्ति वुच्चई ।।१०। वहुमाई पमुहरे थद्ध लुद्धे अणिग्गहे । असंविभागी अचियत्ते पावसमणि त्ति वुच्चई ॥११॥ विवादं च उदीरेइ अहम्मे अत्तपन्नहा । वुग्गहे कलहे रत्ते पावसमणि त्ति बुच्चई ।। १२ ॥ अथिरासणे कुक्कुईए जत्थ तत्थ निसीयई ।। आसणम्मि अणाउत्ते पावसमणि त्ति वुच्चई ॥ १३ ॥ ससरक्खपाए सुवई सेज्जं न पडिलेहइ ।। संथारए अणाउत्ते पावसमणि त्ति वुच्चई ॥ १४ ॥ दुद्धदहीविगईओ आहारेइ अभिक्खणं । अरए य तवोकम्मे पावसमणि त्ति वुच्चई ।। १५ ।। अत्थन्तम्मि य सूरम्मि आहारेइ अभिक्खणं । चोइओ पडचोएइ पावसमणि त्ति वुच्चई ।। १६ ।। आयरियपरिच्चाई परपासण्डसेवए । गाणंगणिए दुभूए पावसमणि त्ति वुच्चई ॥ १७ ॥
सयं गेहं परिचज्ज पगेहंसि वावडे । निमित्तण य ववहरई पावसमणि त्ति वुच्चई ।। १८ ॥