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इंकारसमं अज्झयणं
. ११५ जहा से सहस्सक्खे वज्जपाणी पुरन्दरे । सक्के देवाहिवई · एवं हवइ बहुस्सुए ।। २३ ।। जहा से तिमिरविद्धसे उच्चिद्वन्ते दिवायरे । जलन्ते इव तेएण एवं हवइ वहुस्सुए ॥ २४ ॥ जहा से उडुवई चन्दे नक्खत्त परिवारिए। पडिपुण्णे पुण्णमासोए एवं हवइ वहुस्सुए ।। २५ ।। • जहा से सामाइयाणं कोडागारे सुरक्खिए। नाणाधनपडिपुण्णे एवं हवइ वहुस्सुए ।। २६ ।। जंहा सा दुमाण पवरा जम्बू नाम सुदंसणा।। अणाढियस्स देवस्स एवं हवइ बहुस्सुए ।। २७ ।। जहा सा नईण पवरा सलिला सागरंगमा । सीया नीलवन्तपवहा एवं हवंइ वहुस्सुए ।। २८ ।।
जहा से नगाण पवरे सुमहं मन्दरे गिरी। " नाणोसहिपज्जलिए एवं हवइ वहुस्सुएं ।। २६ ।।
जहा से सयंभूरमणे उदही अक्खओदए। नाणारयणपडिपुणे एवं हवइ बहुस्सुए ॥ ३० ।। समुद्दगम्भीरसमा दुरासया
अचक्किया केणइ दुप्पहंसया । सुयस्स पुण्णा विउलस्स ताइणो
. खवित्त कम्मं गइमुत्तमं गया ।। ३१ ॥ • तम्हा - सुयमहिटिज्जा उत्तमट्टगवेसए। जेणऽप्पाणं परं चेव सिद्धि संपाउणेज्जासि ।। ३२॥
-त्ति बेमि ॥