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उत्तरज्झयणं
एयमट्ठे निसामित्ता हेऊकारण - चोइओ । तओ नमी रायरिसी देविन्दं इणमब्ववी - ॥ ४३ ॥
मासे मासे तु जो वालो कुसग्गेणं तु भुजए । न सो सुक्खायधम्मस्स कलं अग्धइ सोलसि ॥ ४४ ॥
एयमट्ठ निसामित्ता हेऊकारण - चोइओ । तओ नमि रायरिसि देविन्दो इणभव्ववी - ॥ ४५ ॥
हिरण्णं सुवण्णं मणिमुत्तं कंसं दूसं च वाहणं । कोसं वडढावइत्ताणं तओ गच्छसि खत्तिया ! ॥ ४६ ॥
एयमट्ठ निसामित्ता हेऊकारण - चोइओ | तओ नमी रायरिसी देविन्दं इणमव्ववी - ॥ ४७ ॥
सुवण्ण रुप्पस्स उ पव्वया भवे
सिया हु केलाससमा असंखया ।
नरस्स लुद्धस्स न तेहि किंचि
इच्छा उ आगाससमा अणन्तिया ॥ ४८ ॥
पुढवी साली जवा चेव हिरण्णं पसुभिस्सह । पडिपुण्णं नालमेगस्स इइ विज्जा तवं चरे ॥ ४६ ॥
एयमट्ठ निसामित्ता हेऊकारण - चोइओ । तओ नमि रायरिसि देविन्दो इणमब्ववी - ।। ५० ।। अच्छेरगमव्भुदए भोए चयसि पत्थिवा ! असन्ते कामे पत्थेसि संकप्पेण विहन्नसि ।। ५१ ।।
एयमट्ठ निसामित्ता हेऊकारण - चोइओ | तओ नमी रायरिसी देविन्दं इणमब्ववी - ॥ ५२ ॥