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नाम
कर्ता
संवत
१५६१
प्राकृत दीपिका प्राकृत अवचूरि हैम चतुर्थपादवृत्ति हैम व्याकरण दीपिका हम व्याकरण अवचूरि हैम दुर्गपद प्रबोध हैमकारक सुच्चय हैमवृत्ति
द्वितीय हरप्रभ हरिप्रभ मूरि हृदय सौभाग्य जिनसागर रत्नशेखर ज्ञानविमल शिष्यवल्लभ श्री प्रभमूरि
१६६१ १२८०
हैम व्याकरण से सम्बद्ध अन्य ग्रन्थ
गुण रत्न
लिंगानुशासन वृत्ति जयानन्द धातुपाठ (स्वरवर्णानुक्रम) पुण्यसुन्दर क्रियारत्न समुच्चय
१४६६ हैमविभ्रमसूत्र
गुणचन्द्र हैमविभ्रम वृत्ति
जिनप्रभ हैम लघुन्यास प्रशस्ति अवचूरि उदयचन्द्र न्यायमंजूषान्यास हेमहंस न्यायमंजूषा
१५१५ स्यादि शब्द समुच्चय अमरचन्द्र हैमकौमुदी मेघविजय
१७५८ शब्दचन्द्रिका
१७६१ हैमप्रक्रिया
महेन्द्र सुतवीरमी हैमलघुप्रक्रिया
विनय विजय-तपागच्छ के आचार्य भिक्खुव्याकरण
अधुनातन काल कौमुदी
अधुनातन इन प्रसिद्ध तीन महाव्याकरणों के अतिरिक्त कातंत्र, यशोभद्र कृत जैनव्याकरण, आर्य व्रजस्वामी कृत जैन व्याकरण, भूतवली जैन व्याकरण, श्रीदत्त कृत जैन व्याकरण, प्रभाचंद्र कृत जैन व्याकरण एवं मिहनंदी कृत जैन व्याकरण के नामों की सूचना मिलती है ।।
कातंत्र के मूल सूत्रों के रचयिता के मंबंध में विवाद है, पर इतना सत्य है कि कातंत्र रूपमाला के रचयिता भावसेन त्रैवेद्य हैं। यह व्याकरण माहित्य के
जैनाचार्यों का व्याकरणशास्त्र को योगदान : ५६