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यहांसे ईसरी
स्वामीकी निर्वाण भूमि है, अथवा गिरीडी की टिकट लेवें । दोनों स्थानोंपर धर्मशालायें हैं । गिरीडी लगभग ४० वर्ष पहले एक सघन वन था पर अत्र एक जनपूर्ण नगर बन गया है । ईसरी तथा गिरीडी दोनों जगहसे सम्मेद शिखर पार्श्वनाथ हिलके लिये बैलगाड़ी मिलती है । गाड़ी किराया १ ) से ३) रु. तक लगता है । ईसरी से मधुवन गांव सड़कके रास्ते से ७ सात कोस है । परन्तु जंगलके रास्ते से ३ कोस है । जंगलके रास्तेसे वैलगाड़ी नहीं जाती । गिरीडीसे मधुवन ९ कोस दूर है यात्रियोंके समयमें (दिवालीसे चैत्र तक ) दुकानदार मधुवनमें रहते है जिनके पाससे यात्री लोग खाने पीनेका सामान लेते है | मधुवनमें ठहरनेके लिये ३ कोठियां है. जिनमें २ दिगम्बरियोंकी तथा एक श्वेताम्बरियोंकी है । सर्वसे ऊपर जो कोठी बनी है वह बीसपंथी ( दि० जैन ) कोठी है. उसके बाद श्वेताम्बरी कोठी है तथा सर्वसे नीचे तेरापथी ( दि० जैन ) कोठी है. यात्रीका जहां दिल चाहे वहां ठहरे, किसी बातकी रुकावट नहीं है, तीनों कोठियोंकी धर्मशालायें लाखों रुपयोंकी लागत की बनी हुई हैं । जिनमें एक साथ हज़ारों यात्री ठहर सकते है, हर एक कोठीमें अपना २ मंदिर भी है, जैनशास्त्रोंके देखनेसे मालूम होता है कि इस सम्मेदशिखरसे अनन्तानन्त चौवीसी मोक्षको गई हैं और अनन्तानन्त चौवीसी जायँगी तथा वर्तमानकालकी चौबीसी - मेंसे श्रीऋपमदेवजी, बांसुपूज्यस्वामी, नेमनाथजी तथा महावीर स्वामीको छोड़कर बाकी के २० तीर्थकर इसी पर्वतसे मोक्षको गये है, इससे इस पर्वतका कंकड २ पवित्र है, इस लिये पहाड़पर मल