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४२] जैन तीर्थयात्रादर्शक। कुछ भी नहीं है, यहांसे एक रेल द्वारका जाती है । टिकट १) है द्वारका जानेका दुसरा रास्ता रानकोटसे जेतलसर गाड़ी बदलकर पौरबंदर स्टेशन जावे । टिकिट पोरबंदरका १॥) है, यह भी शहर बढ़िया है । समुद्रके बीचमें है, यहांसे सिर्फ नाव या बोटमें जानेसे ।) सवारी लगती है।
(७२) गोमती द्वारका । समुद्र के बीच टापू ऊपर स्टेशनसे एक मील द्वारका शहर छोटा कस्बा है । बड़ौदाका राज्य है, पहिले ये नगर श्री नेमिनाथके जन्म समय कुबेरने रचा था। अब छोटासा रह गया है । यहां समुद्र देखनेकी शोभा शिवनीका बड़ा भारी मन्दिर सुना जाता है । पहिले यहां एक नेमिनाथका मन्दिर और प्रतिमा थी, हजारों जैनी जाते थे। कुछ दिनोंसे जैनियोंने जाना बंद कर दिया। इससे मैष्णवोंने उस मूर्तिको समुद्रमें डालकर महादेवकी पिण्डी रख दी। खेद ! ये ग्राम फिर भी ठीक है, अब रेलका स्टेशन होनेसे सुघरगया है। हजारों यात्री (वैष्णव लोगोंके) यहांपर हर समय आते हैं । यहांसे बैटद्वारका जानेके २ रास्ता हैं। १ बैलगाड़ीका II) सवारी लगती है, ८ मील जाकर धर्मशालामें ठहरे । फिर नांवमें जाकर -) सवारीसे बैडद्वारका जावे या ॥) सवारी देकर बैटद्वारका नाके । बैलगाड़ीके रास्तेके बीच एक गोपीतालाव भाता है।
(७१) गोपीतालाव । यह सडकसे ननदीक है। १ गऊशाला, १ धर्मशाला, बगीचा, वावड़ी, मंदिर है, यहां भी वैष्णवोंके यात्री बहुत आते हैं। यहांसे २ मील पर समुद्र और धर्मशाला है।