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बैन दीर्थयाबादक।
मोळकी दूरीपर दि. जैन अतिशय क्षेत्र, तीर्थरान, प्राचीन कालका महातप तेजवान् धुलेव-केशरियानी तीर्थ है। यहांपर प्रथम तीर्थकर मादिनाथ स्वामीनीकी प्रतिमा बिगनमान है। उदयपुर से यहांके लिये हरएक प्रकार की सवारी मिलती है ।
(१) केशरियाजी (धुलेव )। इम ग्रामका नाम धुलिया भील के वसनेसे धुलेव है । यहांपर न्दी, तालव, कुआ, आदि प'ने नह नेके पानीका सुभीता है। यहीं पर खाने पं ने और पूनाका भी सामान मिलता है। १०० घर नरसिंघपुर। नियोंके है । धर्मश ला बहुत बड़ी है । यहांकी मूर्तिका मतिशय प्राचीन काल में बहुत हा है । बड़े बादशाहोंको चमत्कार दिस्वाया था। इस तीर्थर की महिमा तीनों लोकमें व्याप्त है । ये तीर्थ दि० का अपूर्व स्थान है । यहांपर केश फूल बहुत चढ़ते हैं। हजारों मुलाके लोग मानता (बोली) मानकर चढ़ानेको आने हैं ।
और दर्शनोंको भी जेनी तथा अन्य लोग आते जाते हैं । केशरिया ग्राममें बारहों महिना हजारों यात्रियों की बड़ी भीड़ रहती है। यहांपर पूजनादिकका भी बहुत आनंद रहता है। यहांपर एक दि. जेन पाठशाला भी है। यहांपर माने जानेके दो रास्ता हैं । यह मंदिर बावन देहरीका पाव मीलके घेरेमें बहुत बड़ा लाखों रुपयोंकी कीमतका बना हुमा है। गुजरात अहमदावाद प्रांतीन रेल्वेसे हिम्मत नगरसे मोटरगाड़ी पारि सवारीमें जांबुडी, भीलोड़ा, डुंगरपुर होकर भी केशरियानी जाते हैं । केशरियानीकी यात्रा करके भाषा मीलपर भगवानकी चरणपादुका हैं। वहां भी दर्शनोंको नाना बाहिते। यहीपर पूर्वकालमें एक धुलिया भीलको स्वम हुमा