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________________ १९६] जैन तीर्थयात्रादर्शक । जाता है । यहांसे स्टेशन १ मील दूर पड़ती है। रेलवे टिक्टका 4) दे कर औरंगाबाद उतर पड़े। (३३२) औरंगाबाद । म्टेशनसे २ मील चौक बाजार मसनिदके सामने दि. जैन धर्मशाला है । तांगावाला ।) सवारीमें ले जाता है। यहां पर बाजार, पाठशारा ननदीक है । कुछ तकलीफ नहीं होती है। यहांपर ननदक कुल ३ मंदिर हैं । और घरमें ७ चैत्यालय व ४० घर दिनियोके हैं। एक बड़ा मंदिर है। उसके मोहरामें हजारों प्रतिनग हैं। इसी मंदिरमें धर्मशाला भी है । यह मंदिर सिर्फ एक भाईको बनवाया है। अब पंचोंके कजे में है। वह विचारा मर गया है । किसी आदमोको माथ लेकर सबका दर्शन करें। फिर यहांने तांगा करके पहाड़की गुफा देग्वने जाना चाहिये । ३ मील पहाड़ पटना है । बीचमें गौमापुर पड़ता है। (३३३) गौमापुर । यह शहर पहिले बड़ा था । सो टूटकर औरंगाबाद बप्त गया है । यह ग्राम अब छोटासा है। नैनियोंके घर बहुत थे | अब पुनारी रहता है। पहाड़की गुफाओंकी पूजा करने यही पुनारी नाता है । १ मंदिर एवं प्राचीन प्रतिमा बहुत हैं । एक बादशाहकी मसनिद देखने योग्य है। यहांसे १॥ मील दूर पहाड़ है। तलेटी तक तांगा जाता है। (३३४) गौमापुरकी गुफाएं। पाव मीलका सरल चढ़ाव है। ऊपरकी तरफ बड़ीर तीन गुफा हैं। उनमें बहुत जैन, बौड, कृष्णकी मूर्तियां हैं । एकर
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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