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जैन तीर्थयात्रादर्शक |
धर्मशाला में पहुंचा देता है। स्टेशनपर बाजार, डाकघर व टेलीग्राफ है । रास्ते में भी अच्छी चीजें मिलती हैं । सो देखते जाना चाहिये । धर्मशाला में नल व ऊपर मंदिर है । थोड़ी दूर गली में कुआ है, जंगल भी थोड़ी दूर है । बाजार पास है । कुछ घर दि० जैनोंके हैं। बाजार अच्छा है, सामान सब मिलता है । फिर यहांसे तांगा, मोटर या बैलगाड़ी से २ || मील मसरुलगांव दि० जैन धर्मशाला में जाना चाहिये । बीचमें बाजार पड़ता है, देखता जावे । गोदावरी 1 नदीके उमपार अन्यमतियोंकी धर्मशाला है । ब्राह्मण पिंडदान, तर्पन आदि करते हैं । यह शहर भी प्रसिद्ध है । यहांपर हजारों यात्री आते-जाते रहते हैं । शिवरात्रीपर बड़ा भारी मेला भरता है तब १ लाख तक आदमी इकट्ठे होजाते हैं ।
( ३१७ ) मसरुल गांव ।
यहां पर १ दि० धर्मशाला, १ मंदिर, १ बगीचा व कुआ, है । मुनीम, पुजारी रहते हैं | भण्डार वगैरह देना चाहिये । यहांसे १ मील गंजपंथाजी जाना होता है । स्नान करके माली व द्रव्यको साथ लेकर पहाड़पर जाना चाहिये ।
( ३१८ ) श्री गजपंथजी सिद्धक्षेत्र ।
पहाड़की आधमीळकी सरल चढ़ाई है। सीढ़ियां लगी हैं । ऊपर कोट है । ३ गुफा हैं । उनमें खुदी हुई बहुत प्राचीन प्रतिमा व चरण पादुका हैं । १ पानीका कुण्ड व १ मंदिर है । यहांसे बलभद्रादि ८ करोड़ मुनिराज मोक्षको गये हैं | वंदना, पूजा करके थोड़ी दूर नीचे उतर आये । फिर पहाड़ ऊपरकी