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१८६] जैन तीर्थयात्रादर्शक । मन्दिर है, उसमें भी बहुत प्रतिमा हैं। इसीके नीचे भोहरेंमें ४ मंदिर हैं, और बड़ी२ सुन्दराकार पद्मासन ( प्रतिबिंब हैं। शिलालेख भी हैं। इस मंदिरके बनवानेवाले इस प्रांतमें बड़े प्रभावशाली, ब• महतीसागरनी थे। उनकी क्षत्री और चरण पादुका हैं । यह मंदिर बहुत ऊंचा और कीमती मजबूत है । भंडार, मुनीम, पुजारी रहता है । मेला हरसाल भरता है । हरसमय यात्री बाते जाते रहते हैं। इसके मागे नातेपोते आदिमें जैन गूनरोंके बहुत घर हैं । यात्रा करके लौटकर बारामती आजाय । फिर ढौंड आवें। यहांसे टिकट १॥) देकर पूनाका लेवें। अगर मनमाड़ जाना हो तो २॥) देकर मनमाड़ चला जावे | किसीको कुर्दुवाड़ी रायचुर मादि जाना हो तो चला जावे ।
(३१४) पूना शहर । स्टेशन के पास १ हिन्दू धर्मशालामें ठहरना चाहिये । या शुक्रवारी बाजारमें दि. जैन धर्मशाला है, उसमें ठहर भावे । तांगावाला ।) देकर सवारी और बैलगाड़ीवाला -) सवारीमें पहुं. चाता है। १ मंदिर दीतवारी, २ मंदिर शुक्रवारी, १ पेठमें ऐसे कुल ४ मंदिर हैं। सबका दर्शन करें । शहरमें ४० घर दि. जैनियोंके हैं। लाखोंका व्यापार होता है। घूमकर बाजार देख लेना चाहिये। कुछ खरीदना हो तो खरीद लें। लौटकर स्टेशन मावे ।
१ रेलवे मीरज, सांगली, कोल्हापुर, बेलगांव, हुबली, विरूर, सीमोगा, भारसीकरी, हांसन, मंदगिरि, म्हैसुर, बेंगलूर होकर हीराहेल्ली जाती है। १ कुर्दुवाड़ी, बारसी, तेर, लातुर, शोलापुर, रायचुर, होटगी होकर हुबली जाती है। इनका हाल ऊपरसे देखो