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१८४] जैन तीर्थयात्रादर्शक । यहांकी यात्रा करके उम्मानाबाद लौट भावे व एड सी स्टेशन लौट भावे, फिर टिकिट -) देकर "तेर" का लेवे | उस्मानाबादमें २० घर नैनियोंके हैं। यहांपर नेमचंद बालचंदनी वकील एक सजन गृहस्थ हैं।
(३०९ ) तेर स्टेशन ।। म्टेशनसे २ मील तेर टाफूटा ग्राम है, पहिले यह राजा करकुण्डकी राजधानी थी और यहांके सभी लोग जैन थे। इस पुण्य क्षेत्रमें २३ वार पार्श्वनाथ स्वामीका समवशरण आया था,
और ७ वार महावीरस्वामीका समवशरण आया था। इस परम पूज्य ग्रामको धन्य है। ग्रामसे पश्चिमकी तरफ एक नागम्थाना नामका स्थान है, पूछकर जाना चाहिये। यहां कोटसे घिरी हुई एक दि जैन धर्मशाला व भीतर २ मन्दिर हैं । उममें बहुत स्थानोंपर बहुत प्रतिमा विराजमान हैं, एक प्रतिमा महावीरम्बामीकी 9 हाथ ऊँची पद्मासन शांत छबि बिराजमान है । यहांपर एक पुजारी रहता है, भण्डार कुछ देना चाहिये। बाहर एक वावड़ी ई, उपमें जैनोंकी बहुत प्रतिमा हैं, एक पार्श्वनाथकी फण सहित प्रतिमा है। उसको लोग नागदेव कहते हैं। इसीसे इसका नाम नागठाना प्रसिद्ध है। मानकल कोई जैन यहांपर नहीं माने हैं । देखरेख की नहीं करते हैं । बड़ी विचित्र गति है ! लौटकर स्टेशन आवे । टिकटका 2) देकर लातुर जावे।
(३१०) लातुर । वारसी टाउनसे लगाकर लातुर तक मुसलमान रानाका राज्य है। यह शहर किला, खाई, दरवाजा, बगीचा, राज्य परिवार संयुक्त