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जैन तीर्थयात्रादर्शक। [१७३ ( २८६ ) हीगहेल्ली ( अनिशयक्षेत्र चन्द्रप्रभु पहाड़)।
स्टेशन पर स्टेशन मास्तर के पाम मामान रखकर किमी आद. मीको माथ लेकर, मामने पहाट दिखता है वहांपर चला जावे । पहाड़की नलेडीमें धर्मशाला है, १ आदमी रहन: है. मामने पहाट है, पाव मेंल मीढ़ियां हैं. पहाट पर कोटमे घिरे हये धीचमें पांच मंदिर हैं और बड़ी भारी मनोज्ञ प्रतिमा है।
श्री चंद्रप्रभ की प्रतिभा अन्छो है । मंदिरमें ताला लगा रहता है । धर्मशालाक आदमोमे चावी लेकर म्नानादिसे निवटका, मामग्री लेकर पहाइपर नाना चाहिये । पहाड़पर भी ठहरनेका स्थान है । लौटकर स्टेशन नावे । टिकट !!) देकर बैंगलर चला जाना चाहिये । बंगाका हाल लिम्व दिया है। अब आगे वीरूरमे पुना तककी यात्रा लिम्बी जाती है । बीरूरसे टिकटका २) देकर टिकट हुबलीका सेलेना चाहिये ।
(८७) हुबली जंकसन । म्टेशनसे ) सवारीमें १ मील दूर दि. जैन बस्ती है । वहांपर धर्मशाला, कुमा, जंगल, बानार, मादि सबका सुभीता है। तीन मंदिर इमी जगहपर है। प्रतिमा बड़ी मनोज्ञ और प्राचीन है। पासहीमें १ दुसरा मंदिर है। उसमें धातु की प्रतिमा है। एक श्वेताम्बरी-दिगम्बरी इकट्ठा मंदिर है। सबका दर्शन करके फिर बाजार देखें। यहांपर कपड़ेकी २० मिल। छ देखकर और लौटकर मारटाल क्षेत्र नवे। (२८८ ) श्री आरटाळ क्षेत्र (पार्श्वनाथ अंतित्रयक्षेत्र)
हुबलीसे २४ मील बैलगाड़ीसे बारटाल क्षेत्र मा 14