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जैन तीर्थयात्रादर्शक |
होकर एरोड़ा मिलती है । एक गाड़ी वीरूरसे आरसीकेरी बदलकर बेंगल्टर जाकर मिलती है । इसके बीचमें किसी भाईकी इच्छा हो तो उतर पड़े । अब आरसीकेरीका हाल लिखते हैं ।
नोट- पूना तरफ की गाड़ीसे आनेवाले भाईयों को आरमीकेरीसे बेंगलूर, म्हैसूर होकर जैनबद्दीकी यात्रा करता हुआ सीमोगाका होकर मूलबद्री जाना चाहिये ।
वहांसे लौटकर मंगल्टरकी तरफ होकर मद्रास, रायचूर के रास्ते से जाने से सब वंदना होजाती है। मद्रास तरफसे आनेवा लोंको उधरकी सब यात्रा करके लौटकर कारकल सोमेश्वर होकर सीमोगा, जैनबद्री, म्हैसूर, बेंगलूर होकर वीरूर जंकशन मिलनाना चाहिये । ऐसा करने से खर्च कम और यात्रा सब होजाती है । आरसीफेरी से बेंगलूर जानेसे गाड़ी भाड़ा |||) देकर नीटर उतर पड़े। ( २८४ ) नीटुर |
स्टेशन से २ मील उत्तरकी तरफ ग्राम है। वहां पर एक प्राचीन कीमती मंदिर है । बहुतसी प्रतिमा हैं। एक प्रतिमा खड्गासन ५ हाथ ऊँची शांत मुद्रा घातुकी बिराजमान है। कुछ घर दि० जैनियोंके भी हैं, वहांसे चलकर रेल्वे भाड़ाका (८) देकर तीपटुर उतर पड़े ।
( २८५ ) तीपटुर |
स्टेशन से २ मील ग्राम है, वहांवर १ धर्मशाला, पाठशाला, १ रंगदार मंदिर और ५ हाथ ऊँची खड्गासन प्रतिमा है और ३ प्रतिमा घातुकी बिराजमान हैं, ४० घर दि० जैनियोंके हैं । यहांसे टिकटका ) देकर हीराहेली उतर पड़े ।