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जैन तीर्थयात्रादर्शक |
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कोटीसे अग्निबोट द्वारा बंगलोर, मंगलोर, बम्बई, कलकत्ता, मद्रास भी जासकते हैं । धनुप्यकोटीसे लौटकर ) की टिकट लेकर रामेश्वर आजावे |
( २०१ ) सेतुबन्ध गमेश्वर ।
समुद्रके बीच पर यह स्थान है । स्टेशन के पास ग्राम अच्छा है । लाखों यात्री हर समय आते-जाते रहते हैं धर्मI शाला और १५० घर ब्राह्मण पंडोंके हैं। एक बड़ा विशाल मंदिर है जिसके पूर्व-पश्चिममें दरवाजे हैं। भीतर बहुत मंदिर हैं। मूल नायक रामेश्वर महादेव हैं। लाखों रुपयोंके मोने-चांदी का काम है । बड़े २ नादियां हैं। पीतलके हाथी, घोड़ा, रथ, मनुष्य, बैल, सर्प इत्यादि चीजें देखने योग्य हैं | यहां पर कौड़ी, शंख, तसवीरें आदि चीजें बेचनेवाले मंदिर में रहते हैं । ग्राममें खानेपीने, पूजनका सामान मिलता है । यह मूर्ति रामचन्द्रकी बनाई हुई है । इसलिये इसका नाम रामेश्वर है । रामचन्द्रजी जलके बीच सड़क बांधकर आये थे । इसलिये सेतुबन्ध भी कहते हैं, लौटकर स्टेशन आनावे | अगर किमीको धनुष्यकोट जाना हो तो चला जावे, हाल ऊपर देखो | ३||) देकर टिकिट त्रिचिनापल्लीका लेवे । बीचमें मदुरा गाड़ी बदलकर त्रिचिनापछी उतर जाना चाहिये । फिर स्टेशनपर दूसरे लोगों से पूछकर रंगाबंगास्वामी चला जाये | त्रिचिनापल्ली से ) का टिकिट लेकर श्री रंगारोड़ उतर पड़े । ( २३२ ) रंगाबंगास्वामी ।
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स्टेशनसे ४ मील दूरीपर ) सवारी में बैलगाड़ी जाती है | बहांपर लकड़ियोंकी बड़ी भारी २ मूर्तियां रंगदार बनी हैं, अन्य