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१२०] जैन तीर्थयात्रादर्शक । नेसे कुंडलपुर ग्राम निकला है। जिसमें बड़े२ मकान, कुआ, चौद्धमतियोंके मंदिर बहुत मूर्तियां निकली हैं। इससे निश्चय होता है कि यह बड़ी भारी नगरी थी। सो नगरी दब गई है। जैन शास्त्रकी आज्ञा प्रमाण है। फिर लौटकर मंदिरजोको आवे। फिर ग्रामसे उत्तरकी तरफ आध मील ऊपर धर्मशाला है। यहांपर १ धर्मशाला १ मंदिर है। दर्शन करके स्टेशन मानावे । यहांसे १ राम्ता विहारको व १ रास्ता पावापुरीको जाता है । कच्चा-पक्का गम्ता है। (-८ मील दोनों ग्राम पड़ते हैं। किसीको घर जाना हो तो चला जावे । नहीं तो वापिस बड़गांव रोड आवे । टिकट ॥३) देकर रानगृहीका ले लेवे ।
(२८९) राजगृही अतिशयक्षेत्र । प्यारे सज्जनो ! यह वही पवित्र भूमि है जिसपर जगपिंधु, धन्यकुमार, शालीभद्र, सुकुमाल, मुनिसुव्रत आदि महान पुरुषने जन्म धारण किया था। इसका नाम कुशाग्रनगर भी है । सुभद्रा चेलना आदि महासती यहीपर हुई थीं। पांचों पहाड़ोंपर २३ तीर्थकरोंका समवशरण आया, वर्डमान म्वामीका तो कई वार आया। यहांपर नाना-आना और वंदनाका चक्र १८ मीलका पड़ता है। कुल पांच पहाड़ हैं। १ विपुलाचल, २ वैभारगिरि, ३ मोनागिर, ४ उदयगिर, ५ रत्नागिर ये पांच पहाड़ हैं। इन पहाड़ोंपर कुल १८ मंदिर हैं। जिसमें वैभारगिरपर बहुत मंदिर हैं। मंदिरके दक्षिण तरफ एक प्राचीन मंदिर, एक प्राचीन गढ़ व भौहरा है। इसका पता लगाकर दर्शन करना चाहिये । सब पहाड़ोंसे अधिक इस पहाड़पर बहुत मंदिर हैं। बहुत प्राचीन चरण पादुका हैं।