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________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक। [९५ कुंवरपालनी, चतुरभुननी, तुलमीदास, भूधरदासनी मादि पण्डित यहींके थे। (१६% ) फीरोजाबाद । ___ स्टेशनमे । मील दूर असरके कटरामें दि. जैन धर्मशाला है। तांगावाला -) मवारीमें ले जाता है। यहांपर ठहर जाना चाहिये । यहांपर बानार, पाठशाला, मंदिर, कुआ इत्यादि सबका भाराम है । शहरमें मंदिर ५ हैं जो बहुत मनोज्ञ हैं। एक मंदिर में ३ अगुल उची ग्वगामन पार्श्वनाथकी होगकी प्रतिमा है। उसका दान मुब, ८ बजे तक होता है । सो पूछकर दर्शन करे। भंडारीको बर'नेमे अन्य समयमें भी दर्शन होता है । यहां दि० जैनियोंके घा बटन है। न्यादिवाकर ५० पन्नालालनी यहींके निवामी थे । पवन शो की दुकान में मंडल -त्रिलोक, ढाईद्वीप, तेरहहीप अनि के नगे मिलने है, मो खरीदना चाहिये । फिर बानाग देवर स्टेशनपर आना चाहिये । टिकट ।) देकर शिको हाबाद नान' च हिये । यहासे १ लाईन कलकत्ता तक नाती है, एक आगग, १ देटली नक जाती है । (११) शिकोहाबाद । म्टेशनमे २ मा शहर है। यहांपर १ मंदिर और ७० घर दि. नेनों के है । किमीको शहरमें जाना हो तो नावे । नहीं तो स्टेशनसे मीया ॥ में इक्का करके वटेशर नाना चाहिये । १० मील पड़ता है। (१६२) श्री मौरीपुरी-(बटेपर)। बटेश्वर ग्राम है । यहाँपर नमना नदी बहती है। मबाण
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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