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जैन तीर्थयात्रादर्शक। हैं। एक छोटी प्रतिमाकी रचना बहुत ही अच्छी है । आजकल लाखों रुपया खर्च करनेपर भी वैसी प्रतिमा नहीं बन सकती हैं। यह स्थान भी पुण्यवर्द्धक और बड़ा रमणीक है। जैनियोंको यहांका दर्शन अवश्य करना चाहिये । ग्रामकी पूर्व दिशाका हाल___ग्रामसे १ मील दूर राजाका महल, बड़ा तालाव, १धर्मशाला है । १ मीलके चक्रमें वैष्णवोंके २२ मंदिर है । दो बड़ी२ नदियां हैं । एक शूकर अवतार भगवान (ः) बीचमें पत्थरमें बने हुए हैं। उनके साथ ३३ करोड़ देवताओंका भी आकार बना है। एक सर्कारी लायब्रेरी है । उसमें हजारों प्रतिमा नन अननोंकी पड़ी हैं । और मंदिरोंके भी खंडहर हजारोंकी संख्या में हैं । फाल्गुन वदी १३से वैशाख सुदी १५ तक २॥ महिने का बड़ा भारी मेला भरता है । हजारों लोग आते हैं । और लाखों का व्यापार होता है। मेलाके समयमें राजा सा०, पुलिम, तारघर, डाकखाना आदि सब यहीं पर रहता है। इस समय आनेवाले यात्रियोंको बहुत कमतीमें सवारी मिल जाती है । और सब बातका माराम रहता है । खजराह जानेवाले भाइयों को ये मंदिर भी देख हेना चाहिये । फिर लौटकर छत्रपुर, नयगांव होता हुआ हरपालपुर भाकर झांसीका टिकट लेवे, और झांपी उतर पड़े । यहांका हाल उपर लिखा गया है, ॥) देकर टिकट सोनागिर स्टेशनका ले लेवे । कटनीसे सीधे आनेवाले भाइयोंको ऊपर लिखे तीर्थ रास्ते होनेसे करते आना चाहिये । झांसीसे सतना आदि जाने में खर्च ज्यादः पड़ेगा । अथवा सोनागिर, आगरा झांसी लौटकर उन तीयोंको करना चाहिये। झांसी आकर फिर लौटकर सतना जावे