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जैन तीर्थयात्रादर्षक। [७५.
(१२२) सागर । स्टेशनसे शहर पास है। १ मीलपर सतर्कसुधातरंगणी पाठशाला तालावके पास है । कटरा बाजारमें धर्मशाला है। तांगावाला' -) सवारीमें लेजाता है । सो यहांपर उतर पड़े । कुँवा, जंगल, चैत्यालय आदि सबका सुभीता है । यहांपर कुल १३ मंदिर हैं। अंदाजा ५. वेदी हैं, हनारों प्रतिमा महामनोज्ञ हैं। एक जानकार मादमीको साथ लेकर सबका दर्शन करे। यहांपर एक बड़ा तालाव है । इससे इसका नाम सागर है । यह शहर बड़ा है । दि. नैनियोंकी वस्ती बहुत है। यहांसे मोटर या बैलगाड़ीसे बंड़ा, दौलतपुर होता हुआ श्रीसिद्धक्षेत्र नैनागिरनी जावे । बीचमे बड़ा शहर पड़ता है। १) रुपया सवारीका रेट है। सागरमें न्यायाचार्य पं. गणेशप्रसादनी वर्णी रहते हैं। पाठशाला जाकर देखे और उनके भी दर्शन करे। आप बड़े विद्वान और सरल प्रकृतिके भव्य पुरुष हैं।
(१२३) वंड़ा। यह खुद मिला है। यहां दि०के बहुत घर हैं। एक बड़ा भारी मंदिर है । जिसमें ६ वेदी और प्रतिमा बहुत हैं । यहांपर कन्हैयालाल सा और दौलतराम चौधरी मच्छे भादमी हैं।
(१२४) दौलतपुर । ___ ये ग्राम ठीक है । १ मंदिर और नैनियोंके घर बहुत हैं। यहांतक तो मोटर हमेशा भाती जाती है। बंड़ामें बहुत मोटर हर समय मिलती हैं । दौलतपुरसे बैलगाड़ी किराया करके १० मीक पर नैनागिरजी नाना चाहिये । नेनागिरभीका एक रास्ता द्रोणगिरजी तक माता-जाता है। बीच ममरगढ़, वामोरी, हीरापुर पड़ता