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________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक । ( ११९ ) दमोह शहर | स्टेशन के पास पाव मील पर एक दिगम्बरी धर्मशाला है । यहां चैत्यालय, कुआ, जंगल और बाजार पासमें है, सो यहांपर ठहरनेसे सब आराम रहता है । यहांसे शहर १ मील है, शहर अच्छा है, बड़े २-३ मंदिर हैं, वेदियां भी बहुत हैं, श्री जिन विम्ब भी अधिक हैं, दि० जैनियोंकी संख्या बहुत है, पाठशाला है । यहांसे जबलपुर, सागर, ललितपुर आदि स्थानोंको रेल व मोटर आती जाती है । यहांसे यात्रियों को बेलगाड़ी आदि किराये करके कुंडलपुर अतिशय क्षेत्र जाना चाहिये । बीचमें पोष्ट पटेरा पड़ता है, यहांसे 3 मील कुण्डलपुर है । दमोहमें बाबू गोकुलचंद्र वकील अच्छे सज्जन पुरुष हैं, राज्यमान्य भी हैं । ( १२० ) पटेरा | यह ग्राम अच्छा है, ३ जिनमंदिर और बहुत घर दि० जैनोंके हैं । कुण्डलपुर जानेका एक रास्ता दमोहसे १ स्टेशन आगे वांदकपुरसे जाता है । यहांसे एक मील और दमोह से १६ मील कुण्डलपुर पड़ता है। बांदकपुरमें एक दि०जैन मंदिर और १५ घर दि० जैनियोंके हैं, यहां एक वैष्णवोंका मंदिर बहुत बड़ा है, यात्राको अन्य लोग बहुत आते हैं, मेला भरता है, ग्राम स्टेशन से १ मील पड़ता है । यह बीना कटनी लाईन में पड़ता है । [ ७३ ( १२१ ) अतिशयक्षेत्र कुण्डलपुर महावीरजी । यह शहर पहिले बहुत बड़ा था। यहांपर ६-६ महिनाका मेळा लगता था । हजारों व्यापारी विदेश व द्वीपांतरोंसे जाते थे ।
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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