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जैन तीर्थयात्रादर्शक। [६९ शहर पुराना ठीक रास्ते में पड़ता है । फिर दिजैन धर्मशाला में जावे, यहांपर २ धर्मशाला, २ कुआ, २ वावड़ी, ३ तालाव, २ बगीचा और पहाड़ जंगलादि सब चीजें हैं। यहांके कारखानेमें मुनीम, पुनारी, जमादार, नौकर आदि रहते हैं। यहांपर कुछ ८ मन्दिर और १३ वेदी हैं, जिसमें ३ मन्दिरकी खुदाई का काम बहुत ही बढ़िया और कीमती है।
यहां पर १५ हाथ लंबी खड़गासन तप तेनमान, अतिशयवान, लाल पत्थरकी शांतिनाथ भगवानकी प्रतिमा है। इनके बगल में २ छोटी प्रतिमा है । और भी प्रतिमा हैं । पहाड़का नाम रामटेक है । यहां पर रामचन्द्र, लक्ष्मण, सीताने बहुत दिनों तक निवास किया था । इमलिये इस पहाड़ और ग्रामका नाम रामटेक पड़ा है । पहाड़ पर एक तरफ बड़ा तालाव है । एक बड़ा कोट एक तरफ खिंचा हुआ है । उसके भीतर कुण्ड और मंदिर बहुत बहुत हैं। यही मंदिर पहिले दि. जैन था । और वहीं नीचेकी मूर्ति पहाड़ उपर, और उपरकी नीचे विराजमान कर दी । परन्तु कालके प्रभावसे वैष्णवोंका यह पर्वत होगया, केवल नीचेका मंदिर जैनियोंका रह गया । पहाड़ भी देखना चाहिये । यहां पर भी हजारों वैष्णव यात्री माने हैं। और यह स्थान बहुत रमणीय शोभायमान है, यहांकी यात्रा करके लौट भाना चाहिये । कामठी माकर गाड़ी बदलकर यहांसे १।) का टिकट लेकर रायपुर होता हुआ खड्गपुर जंकशन जाकर उतरें । अगर किमीको छोटी लाइनसे जाना हो तो नागपुर दीतवारीसे गाड़ी बदलकर छिंदवाड़ा, सिवनी, केवलारी, नैनपुर, पिंठरई होता हुमा जबलपुर तक जावे । अगर