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५८] . बैन तीर्थयात्रादर्शक।
और अके सामने मापका कापड़िया भवन तथा बड़ा भारी दि. जैन पुस्तकालय है। यहींसे जैनमित्र, दिगंबर जैन और जैन महिलादर्श निकलता है। इनका आफिस वगैरह भी देखना चाहिये । तरहरके चित्र और पुस्तकें मिलती हैं। २ विशाल मंदिर भी पासमें हैं। जिसमें अत्यन्त मनोज्ञ प्रतिमा है और एक मंदिर गोपीपुरामें है । यहां दोनों जगहपर एक काष्ठासंघ, नरसिंहपुराकी गद्दी, दूमरे मूलसंघ हूमडोंकी गद्दीके दो भट्टारकनी रहते थे । यहांसे फिर नवापुरा, ४ मंदिर हैं, उनका भी दर्शन करना चाहिये। यहांपर एक पाठशाला और श्राविकाशाला चलती है। सुरत शहर बहुत बड़ा है। प्राचीन दिगम्बरियोंकी वस्तीमें अब तो करीब ८५ ही घर हैं । परन्तु श्वेतांबर घर ७०० हैं और ४० बड़ेर मंदिर भी हैं। जिनमें कुछ मंदिर, बाजार देखने योग्य हैं। यहांपर माल हर किस्मका मिलता है । यहांसे एक रेल्वे जलगांव, अमलनेरकी तरफ सुरत ताप्ती लाईन जाती है । एक बंबईको, १ महमदावादको निसमें पहिली जलगांव लाईनका किराया ।) टिकट देकर वारडोली उतर पड़ना चाहिये ।
(९५) बारडोली। स्टेशनसे ग्राम आप मील है । दो आना सवारीमें तांगावाला जाता है। शहरमें श्वे० घर और मंदिर बहुत हैं। सो शहरमें जाना चाहिये। फिर वहांसे बैलगाडी व तांगा या मोटर करके महुवा जावे। बारडोलीमें दि• कुछ भी नहीं है। एक नदी है। ग्राम अच्छा है। महुवा तक पक्की