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________________ [ ७७ ] दि० जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी का दफ्तर है, जिनके द्वारा अब दि० जैन तीर्थो का प्रबन्ध होता है । स्व० श्रीमती मनगबाई जे० पी० द्वारा संस्थापित 'श्राविकाश्रम' उल्लेखनीय संस्था है । जुविलीबाग ( तारदेव ) में उसे अवश्य देखने जायें। वही पास में श्री दि० जैन बोडिंग हाउस है । जिसमें चैत्यालय के दर्शन करना चाहिए। चौपाटी में सेठ सा० का चैत्यालय अनूठा बना हुआ है वहीं पर श्री सौभाग्य जी शाह का चैत्यालय भी दर्शनीय है । संघपति घासीराम जी का भी एक सुन्दर चैत्यालय हैं। वैसे दि० जैन मन्दिर केवल दो हैं । (१) भूलेश्वर में औौर (२) गुलालबाड़ी में । भूलेश्वर के मन्दिर में अच्छा शास्त्र भण्डार भी हैं । इन सबके दर्शन करना चाहिए । इस नगर में यदि वृहद् जैन संग्रहालय संस्थापित किया जाय तो जैनियों का महत्व प्रकट हो । यहां बहुत से दर्शनीय स्थान है जिनको मोटर बस में बैठकर देखना चाहिये। यहां से सूरत जावे 1 सूरत - (विघ्नहर पार्श्वनाथ ) सूरतनगर ( पश्चिम रेलवे ) समुद्र से केवल दस मील दूर है । ईस्ट इण्डिया कम्पनी के समय से यह व्यापार का मुख्य केन्द्र है । चन्दाबाड़ी में जैन धर्मशाला हैं और मन्दिर भी है। प्रतिमायें मनोज्ञ हैं । वैसे यहां कुल सात दि० जैन मन्दिर हैं गौधीपुरा-नवा पुरा मोर चन्दाबाड़ी में हैं। नवापुरा में एक श्राविकाश्रम भी है । चन्दाबाड़ी में जैन विजयप्रेस, दि० जैन पुस्तकालय व जैन मित्र आफिस प्रादि हैं, जिनके द्वारा इस शताब्दि में सारे भारत के जैनियों में विशेष जागृति और धर्मोन्नति की गई हैं। सूरत के पास कटार गांव में भ० श्री विद्यानन्द जी की चरणपादुकायें हैं- वह उनका समाधि स्थान है। महुआ ग्राम भी सूरत के निकट हैं, जहाँ श्री विघ्नहर पार्श्वनाथ का भव्य मन्दिर हैं। इसमें भ० पार्श्वनाथजी की मनोज और प्राचीन प्रतिमा प्रतिशय-युक्त है, प्राचीन सवित्र
SR No.010323
Book TitleJain Tirth aur Unki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages135
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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