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[ ६७ ] कल वहां श्री लक्ष्मीसेन भट्टारक विद्यमान बताये जाते है। चैत मास में रथोत्सव होता है। विल्कम् ग्राम में भी दर्शनीय मन्दिर हैं। यहां से वापिस तिण्डिवनम् जावे और वहां से पुण्डी के दर्शन करना हो तो प्रीस्टेशन ( दक्षिण रेलवे ) जावे।
पुण्डी पुण्डी जिला उत्तर अर्काट में अर्नीस्टेशन से करीब तीन मील है। वहाँ पाषाण का एक विशाल और प्राचीन मंदिर है। उसमें १६ स्तम्भों का मण्डप शिल्पकारी का अच्छा नमूना है। भ० पार्श्वनाथजी की व श्रीऋषभदेवजी की मनोज्ञ प्रतिमायें विराजमान हैं। इस मंदिर की कथा ताड़पत्र पर लिखी रक्खी है, जिससे प्रगट है कि यहां दो शिकारियों को जमीन खोदते हुए श्री ऋषभदेव की प्रतिमा मिली थी जिसे वे पूजने लगे। भाग्यवशात् एक मुनिराज वहाँ से निकले, जिन्होंने उस प्रतिमा के दर्शन किये। उन्होने वहाँ के राजा की पुत्री की भूतबाधा दूर करके उसे जैनधर्म में दीक्षित किया और उससे मन्दिर बनवाया। मंदिरों के जीर्णोद्धार की आवश्यकता है।
श्री क्षेत्र मनारगुडी श्री मनारगुडी क्षेत्र जिला तंजौर में निडबंगलम् दक्षिण रेलवे स्टेशन से ६ मील दूर है। यह स्थान श्री जीवंधर स्वामी का जन्मस्थान बताया है। कहते हैं कि यहाँ दो सौ वर्ष पहले एक मुनि जी पर्णकुटिका में तपस्या करते थे। उसी में उन्होंने श्री पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा विराजमान की थी। जब यह बात कुभकोनम् के जैनियों को ज्ञात हुई तो उन्होंने यहाँ पाकर मन्दिर बनवा दिया। तब से यहां बराबर वैशाख मास के शुक्लपक्ष में यात्रोत्सव १० दिन तक होता है। मंदिर में श्री मल्लिनाथ स्वामी की प्रतिमा विराजमान है। इनके अतिरिक्त हुम्बुच पद्मावती,