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मैसूर पुराना शहर है और यहां कई स्थान हैं। यहां चन्दन की अगरबत्ती तेल आदि चीजें अच्छी बनती हैं। यहाँ से १० मील दूर वृन्दावन गार्डन अवश्य देखना चाहिए। यहां जैन बोडिंग हाऊस की धर्मशाला में ठहरना चाहिए। वहीं एक जिनमंदिर है। दूसरा जिन मन्दिर म्यूनिसिपल-आफिस के पास है। यहाँ से 'गोम्मटगिरि के दर्शन करना गहिए । यहां से चलने पर मार्ग में सेरंगापट्टम में हिन्दू-मंदिर और टीपू सुल्तान का मकबरा अच्छी इमारत है। आगे हासन होते हुये बेलूर पहुंचते हैं । यहां के केशव मंदिर में कई जिन मूर्तियां रक्खी हुई हैं। वहां से हलेविड होता जावें।
हलेविड (द्वारा समुद्र) हलेविड प्राचीन नाम द्वारा समुद्र है। यह पूर्वकाल में होसयल वंश के राजाओं की राजधानी थी। राजमंत्री हल्ल और गॅगराज ने यहाँ कई मंदिर निर्माण कराये थे। 'विजयपार्श्वनाथ' बस्ती नामक मन्दिर को विष्णुवर्द्धन नरेश ने दान दिया था और भगवान पार्श्वनाथ के दर्शन करके उनका नाम 'विजयपाल' रक्खा था। इस मन्दिर को उनके सेनापति गंगराज ने बनवाया था । इस मन्दिर में भगवान पार्श्वनाथ की खड्गासन प्रतिमा १४ हाथ की अत्यन्त मनोहर है । जिस समय प्रतिमा की प्रतिष्ठा हुई थी उस समय राजा विष्णुवर्द्धन के एक पुत्र रत्न उत्पन्न हुना था और उन्हें संग्राम में विजय लक्ष्मी प्राप्त हई थी। इसलिए उन्होंने इस प्रतिमा का नाम 'विजयपार्श्वनाथ' रक्खा था। इस मन्दिर में कसौटी-पाषाण के अद्भूत स्तम्भ हैं, जिनमें से आगे दो स्तम्भों को पानी से गीला करके देखने से मनुष्य की उल्टी और फैली हुई छाया दिखती हैं। इसके अतिरिक्त (१) श्री आदिनाथ (२) शांतिनाथ जी के भी दर्शनीय मन्दिर हैं। एक