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'चन्द्रप्रभवस्ती' के खुले गर्भगृह में पाठवें तीर्थङ्कर श्री चन्द्रप्रभु की मनोज्ञ मूर्ति विद्यमान है। इसे गंगवंशी राजा शिवमार ने बनवाया था।
'सुपार्श्वनाथ बस्ती' में भ० सुपार्श्वनाथ की पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। . चामुडरायबस्ती' पहाड़ के सबसे बड़े मन्दिरों में से है। . इसमें २२ वे तीर्थङ्कर श्री नेमिनाथ जी की प्रतिमा दर्शनीय है।
इस रमणीक मन्दिर को सेनापति चामुडराय ने ६८२ ई० में बनवाया था। बाहरी दीवारों में खम्भे खुदे हुए हैं जिनमें मनोहर चित्रपट्टिकायें बनी हैं। छत की मुडेलों और शिखरों पर मनोहर शिल्पकार्य बना है। ऊपर छत पर चामुंडराय जी के सुपुत्र जिनदेव ने एक अट्टालिका बनवाई और उसमें पार्श्वनाथ जी का प्रतिबिम्ब विराजमान कराया था। नीचे गांव में पास में ही 'आदिनाथ देवालय' है, जिसे 'एरडुकट्ट बस्ती' कहते हैं। इसे होयसल-सेनापति गंगराज की धर्मपत्नी श्रीमती लक्ष्मीदेवी ने सन् १११८ ई० बनवाया था। - 'सवतिगंधवारण' बस्ती भी काफी बड़ा मन्दिर है। इसे होयसल नरेश विष्णुवर्द्धन की रानी शांतलदेवीने बनवाया था और इसमें भगवान् शान्तिनाथ की प्रतिमा विराजमान की थी। इस मूर्ति का प्रभामंडल अतीव सुन्दर हैं।
. 'बाहुबलिबस्ती' रथाकार होने के कारण 'तेरिनबस्ती' कहलाती है, क्योंकि कन्नड़ में रथ को तेरु कहते हैं। इसमें श्री बाहुबलि जी की मूर्ति विराजमान है।
"शांतीश्वरबस्ती" मंदिर भी होयसल काल का है। 'इरुवेब्रह्मदेव मन्दिर' में केवल ब्रह्मदेव की मूर्ति है यहां दो कुण्ड भी है ।