SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 61
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अपूर्ण मूर्ति सही इस मन्दिर के हमें अपूर्व शांतिमान मूर्ति दर्शनीय [५७] - उपयुक्त मानस्तम्भ से पश्चिम की ओर सोलहवें तीर्थङ्कर श्री शान्तिनाथ का एक छोटा मन्दिर है। उममें एक महामनोज्ञ ग्यारह फीट ऊँची शान्तिनाथ भगवान् की खड्गासन मूर्ति दर्शनीय है। उनकी साभिषेक पूजा करके हमें अपूर्व शांति और आत्माह्लाद प्राप्त हुआ था। इस मन्दिर के उत्तर में खुली जगह में भरत की अपूर्ण मूर्ति खड़ी है। पूर्व दिशा में 'महानवमी मंडप' है, जिनके स्तम्भ दर्शनीय हैं। एक स्तम्भ पर मंत्री नागदेव ने सन् १९७६ ई० नयकीर्ति नामक मुनिराज की स्मृति में लेख खुदवाया है। यहां से पूर्व की ओर श्री पार्श्वनाथ जी का बहुत बड़ा मन्दिर है। इसके सामने एक मानस्तम्भ है। मन्दिर उत्कृष्ट शिल्पकला का सुन्दर नमना है। इसी के पास सबसे बड़ा और विशाल मन्दिर 'कत्तले. बस्ती' नामक मौजूद है। इसे विष्णुबर्द्धन के सेनापति गंगराज ने बनवाया था। इसमें आदिनाथ की मूर्ति विराजमान है। यहां यहीं एक मंदिर है जिसमें प्रदक्षिणार्थ मार्ग बना हुआ है। चन्द्रगिरि पर्वत पर सबसे छोटा मंदिर 'चन्द्रगुप्त-बस्ती' है, जिसकी एक पत्थर की सुन्दर चौखटे में पांच चित्रपट्टिकायें दर्शनीय हैं। इनमें श्रुतकेवली भद्रबाहु और सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन सम्बन्धी चित्र बने हुए हैं। पार्श्वनाथ स्वामी की मूर्ति बिराजमान है ! दीवारों पर भी चित्र बने हुए हैं । श्री भदबाहु और चन्दगुप्त का यह सुन्दर स्मारक है। फिर शासन बस्ती' के दर्शन करना चाहिए, जिसमें एक शिलालेख दूर से दिखाई पड़ता है। भ० आदिनाथ की मूर्ति विराजमान है। इस मन्दिर को सन् ११५७ में सेनापति गंगराज ने बनवाया था और इसका नाम 'इन्द्रकुलगृह' रखा था। वही मज्जिगण्ण-बस्ती' में भी एक छोटा मन्दिर है, जिसमें चौदहवं तीर्थङ्कर श्री अनन्तनाथ की पाषाण मूर्ति विराजमान है। दीवारों पर सुन्दर फूल बने हुए हैं।
SR No.010323
Book TitleJain Tirth aur Unki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages135
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy