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[ १३ ] स्थान हैं और वह कहां हैं ? तीर्थों का यह सामान्य परिचय उन हृदय में पुण्यभावना का बीज बो देगा जो एक दिन अंकुरित होव अपना फल दिखायेगा। मुमुक्षु अवश्य तीर्थवन्दना के लिए याः करने जायेगा। शुभ-संस्कार व्यर्थ नहीं जाता। अच्छा तो आई पाठक! जैन तीर्थों की रूप-रेखा का दर्शन कीजिए। भारतके प्रत्ये प्रान्त में देखिए आपके कितने तीर्थ हैं।
. पहले ही पंजाब प्रान्त में देखना प्रारम्भ कीजिए। यद्य आज भी पंजाबमें जैनियों का सर्वथा अभाव नहीं है, परन्तु तो : दिगम्बर जैनियों की संख्या अत्यल्प है। एक समय पंजाब में अफगानिस्तान तक दिगम्बर जैनियों का बाहुल्य था ।+ उन अतिशय क्षेत्र कोट कांगड़ा, तक्षशिला आदि स्थ नों में थे, परं अाज वह पवित्र स्थान नामनिःशेष हैं। यह काल का महात्म्य है लाहौर आदि जैनियों के केन्द्र स्थान थे। पंजाब के लुप्त तीर्थों व पुनरुद्धार हो तो अच्छा है । सन् १९४७में भारत विभाजन के समर पंजाब का पश्चिमी भाग पाकिस्तान में चला गया और पूर्वी भा भारतवर्ष में रहा। कालान्तर में भारत स्थित पंजाब के दो भा हो गये--पंजाब और हरयाणा। + चीन देश का यात्री ह्वेन्स्सांग ७ वीं शताब्दी में भारत प्राय था। उसने पंजाब के सिंहपुर आदि स्थानों एवं अफगानिस्तान दिगम्बर जैनों की पर्याप्त संख्या लिखी थी। देखो 'हुएन्सांग क भारत भ्रमण' (प्रयाग) पृष्ठ ३७ व १४२ xकोटकांगड़ा में मुसलमानों के राज्यकाल में भी जैनों का अधिकार रहा और वह स्थान पवित्र माना जाता था। अभी हाल में इस स्थान का परिचय श्री विश्वम्भरदास जी गार्गीय ने प्रगट किया है जिससे स्पष्ट है कि वहां दि० जैन मन्दिर था । अब यह खंडहर हो गया है और दि० जैन प्रतिमा को सेंदुर लगा कर पूजा जाता है। क्या ही अच्छा हो यदि इसका जीर्णोद्धार किया जावे ? . रावलपिंडी जिले में कोटेरा नामक ग्राम के पास 'मूति' नामक पहाड़ी पर डा० स्टोन को प्राचीन जैन मन्दिर मिला था।