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[११] और ज्ञान कल्याणक स्थानों को ले लीजिये। कहीं भी उनका पता नहीं हैं -जन्मस्थान कुण्डलपुर बताते हैं जरूर, परन्तु शास्त्रों के अनुसार वह कुण्डलपुर राजगृह से दूर और वैशाली के निकट था। इसलिए वह वैशाली के पास होना चाहिए। आधुनिक खोज से वैशाली का पता मुजफ्फरपुर जिले के बसाढ़ ग्राम में चला है। वहीं बसुकुण्ड ग्राम भी है। अतएव वहां पर शोध करके भ० महावीर के जन्म स्थान का ठीक पता लगाया जा चुका है। भगवान ने वहीं निकट में तप धारण किया था, परन्तु उनका केवलज्ञान स्थान जन्म स्थान से दूर जम्भक ग्राम और ऋजकूला नदी के "किनारे पर विद्यमान था। आज उनका कहीं पता नहीं है । बंगाली विद्वान स्व० नन्दूलालडे ने सम्नेद शिखर पर्वत से २५-३० मील की दूरी पर स्थित झरिया को जम्भक ग्राम सिद्ध किया है और बराबर नदी को ऋजकूला नदी बताया है। झरिया के पास पास
शोष करके पुरातत्व की साक्षी के प्राधार से केवलज्ञान स्थान को । निश्चित करना अत्यन्तावश्यक है। इसी प्रकार कलिंग में कोटि
शिला का पता लगाना आवश्यक है। तीर्थयात्रा का यह महान् । कार्य होगा, यदि इत भुलाये हुये तीर्थों का उद्धार हो सके।
सारांशतः तीर्थों और उनकी यात्रा में हमारा तन, मन, घन सदा निरत रहें, वही भावना भाते रहना चाहिये।
"भवि जीव हो संसार है, दुख-खार-जल-दरयाव । तुम पार उतारन को यही है, एक सुगम उपाव ।।
रमाको मत्लाह कार, निज रुप सों लवलाव ।
परगौता, यही माता नाव ।।"