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का जन्म स्थान अनुमान करते हैं। उनका वार्षिक मेला भी यहां होता है। किन्तु वास्तव में शीतलनाथ जी का जन्म स्थान कुलहा पहाड़ के पास भोंदल गाँव हैं। यहाँ एक बड़ा भारी शिखरबन्द मन्दिर प्राचीन है। इसके अतिरिक्त और भी कई मन्दिर और चैत्यालय हैं। यहां स्टेशन के पास दानवीर सेठ लक्ष्मीचन्द्र जी की धर्मशाला है। सेठ जी ने भेलसा में शिताबराय लक्ष्मीचन्द जैन हाई स्कूल भी स्थापित किया है। यहां से चार मील दूर उदयगिरि पर्वत प्राचीन स्थान है। वहाँ कई गुफाये हैं, जिनमें से नं० १० जैनियों की है। इस गुफा को गुप्त वंश के राजाओं के समय में उनके एक जैनी सेनापति ने जैन मुनियों के लिए निर्माण कराया था। वहां पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा और चरण चिन्ह भी हैं । यहां से बौद्धों का सांची स्तूप भी नजदीक है। भेलसा से वापस नागरा जावे। यहाँ से महावीर जी जावे ।
श्री महावीर जी अतिशयक्षेत्र
श्री महावीर जी क्ष ेत्र महावीर जी स्टेशन से चार मील दूर है। यहां एक विशाल दि० जैन मन्दिर है, जिसमें मूलनायक भ० महावीर की प्रतिशय युक्त पद्मासन प्रतिमा विराजमान है । यह प्रतिमा जीर्ण हो चली है, इसीलिए उन्हीं जैसी एक और प्रतिमा विराजमान की गई है। मूल प्रतिमा नदी किनारे जमीन के अन्दर से किसी ग्वाले को मिली थी। जहां से प्रतिमा जी उपलब्ध हुई थीं, वहां पर एक छत्री और पादुकायें बनी हुई हैं । पहले यहाँ पर दि० जैनाम्नाय के भट्टारक जी सब प्रबन्ध करते थे, परन्तु उनकी मृत्यु के बाद जयपुर राज्य द्वारा नियुक्त दि० जैनों की प्रबन्धक कमेटी सब देख-भाल करती है। जब से कमेटी का प्रबन्ध हुआ है, तब से क्ष ेत्र की विशेष उन्नति हुई है और हजारों की संख्या में यात्री पहुंचता है। उत्तर भारत में इस क्ष ेत्र की बहुत