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________________ र बिग्मायभिचानका' गो सपनाना प्राग मिनिमोनित दया। न्यायप्रवंगकाग्ने प्रष्टानामागॉर अन्तगरा उमान्दिदेवानामामकि जिन रिया और जिगने प्रसस्तपाद मोही उनपटान्तामानाको सम्पादकहोगी। प्रधान, विविधयामिद उन्हें अभीष्ट नहीं है। गुमारित और उनी कारवाया तामापन' मोमासर अष्टिी रिभानो, वाभागापौर इप्टानोपोवा प्रतिपादन किया है। प्रतिमागम प्रन्याविरोप, अनुमानवि भोरविगेप वीन प्राय: प्रशस्तपाद तथा न्यायप्रदेशकाग्दो रही है। हो, मलनिगेदो मिनाया , बीम-प्रमिटियरोष और पूर्वगंजापविरोधीनभंगिये है। तमालपांपनिषगर, अमानविरोध और जमातविगैरय सोनट बा नये है, जो उन मतान है। दिन दिगो फर्म, घमाँ और उभरेगामान्य तमा विप म्यागत मायागना है। विदियानासा भी प्रदान गिया है और न्यायप्रदेशको नाति नमाग्लिने विज्ञापनमारोगे माना। माप्पांनी पुषिदीपिा यास्मेिं तो सनमानसोपारा प्रतिपात हो नि। निमाग्ने" मिवादिनदहवामागो तथा माध्यविषादि दागाधर्म-वम् निर्णनाभानोगनिपरिया।। निदर्शनाभागोका प्रतिपान उन्होंने प्रशस्तपादने अनुमार किया है। बताना होमि मापन प्रगतमागे वाह निवांनाभागामें दमको म्योनार किया है और आधागिर नामक दो मामी-प निदर्शनानासाको छोट दिया। पक्षाभाग भी उन्होंने नो निष्टि किये। जन परम्परायः उपका न्यायग्रन्पोमे सर्वप्रथम मायावतारमे नमान्दोनशा स्पष्ट पा प्राण होता। अनी पक्षादि तीनो वचनको परानमान पर उसके दोग भी नीनगरोदन '-- पक्षानाम, न्याभाग और इप्टान्गाभाग ! पक्षानानिद और साधित यो मामिार पातिक प्रत्यक्षवाधित, पनमानवाधित, सोकवाशित और मानवाधिक मामद गिनायी। यसिस, फिर और गनगन्ता तीन" हत्यामामों सपा करमापौर स्व यं पर दाग, यष्टान्ता भानीका भी गया किरा तय किसाध्यविन, मापनदिन और मावि सोनमर्गसाताभाग मा मायाम्पास मागाव्यावृत्त और भयामारा ये तीन बंधष्टानामा ११ प्रगला
SR No.010322
Book TitleJain Tattvagyan Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1983
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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