________________
धर्म, दर्शन और विज्ञान रखी । जेम्स के शब्दों में धर्म एक श्रद्धा है, जिसे धारण कर मनुष्य मोचता है कि जगत एक अदृष्ट नियम के आधार पर चलता है जिसके साथ मेल रखने में ही हमारा उत्कृष्ट हित है । इस व्याख्या के अनुसार धर्म का, याराधना या पूजा से कोई सम्बन्ध नहीं है। मनुप्य जगत् के साथ मैत्री का व्यवहार करे, यही इस व्याख्या का अभिप्राय है । संसार का सारा वायं एक ऐसे नियम के अनुसार चलता है जिनका पाष्ट दर्शन हमारी योग्यता से बाहर है। हम लोग अपनी साधारण बुद्धि के आधार पर उस नियम तक नहीं पहुँच सकते । उन नियम का पूर्ण विश्लेपण हमारी गवित से बाहर है। अपनी इस अयोग्यता को दृष्टि में रखते हा संसार के समस्त प्राणियों के प्रति सद्भावना व मित्रता का व्यवहार रखना ही धर्म है । धर्म का यह लक्षगा नैतिकता का पोपण करनेके लिए बहुत उपयोगी है।
इन गव व्याख्याओं को देखने में यह सहज ही समझ में आ नमाना है कि धर्म का सर्वसम्मत एक लक्षण निर्धारित करना कठिन है। तना होते हा भी हम यह कह सकते हैं कि धर्म, मानव विचार और प्राचार का प्रावश्यक अंग है।
मह ठीक कि धर्म के छ चिह्न मामान्य होते हैं और कुछ विगे। मामान्य विह. आधार पर ही सम्पूर्ण समाज की उन्नति धोनी । विशेष नित या लक्षण विदोष परिस्थिति या समय की दृष्टि में उपयोगी राहा होते हैं। ऐसे लक्षणों का सामान्य रूप में उपयोग नहीं हो सकता। धर्म चिह्न प्रान्तर और बाह्य धोनी कार होते हैं। भाभ्यन्तर चिह्न विचार-प्रधान होते हैं भीर घार विमानार-प्रधान । दोनों में अक्षा का प्रमुख स्थान ..याबाने की सायकाना नहीं। दान का स्वरूप :
कार बनाना जितना काटिन है. प्रायः गन का बहारमिकिन है मन का नीधा अर्थ होता है :
१. Varieties of Religious Experience. पुष्ट
.