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प्रस्तुत करने का सारा श्रेय श्री सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा को है । इसके लिए मैं ज्ञानपीठ का हृदय से प्राभारी हूँ। साथ ही श्रद्धय उपाध्याय कवि अमर मुनिजी तथा अपने गुरु पं० दलसुख मालवरिया का भी अत्यन्त अनुगृहीत हूँ जिनकी सत्प्रेरणा एवं शुभाशीर्वादों के फलस्वरूप ही यह कार्य निष्पन्न हुआ।
-मोहनलाल मेहता शैक्षणिक एवं व्यावसायिक
परामर्श केन्द्र राजस्थान, बीकानेर
३-१२-५८