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डाक्टर मेहता का यह प्रयास उक्त दोनों ग्रन्थों के बीच की कड़ी कहा जा सकता है । यह गम्भीर भी है, और सरल भी । यह सर्वजन - भोग्य भी है, और विद्वज्जन-भोग्य भी । भाषा, भाव और शैली सभी दृष्टियों से सुन्दर है ।
प्रस्तुत 'जैन दर्शन' में प्रमाण और प्रमेय का खासा अच्छा परिचय कराने के साथ ही, उसमें पूर्व और पश्चिम की दार्शनिक विचार धाराओं में 'जैनदर्शन' का अपना स्थान क्या है ? इस विषय पर काफी स्पष्ट चर्चा की गई है । इतना ही नहीं, किन्तु धर्म, दर्शन और विज्ञान - इन तीनों के सम्बन्ध में भी डाक्टर मेहता ने स्पष्ट कहा-पोह किया है । धर्म, दर्शन और विज्ञान का परस्पर क्या सम्बन्ध है ? उनमें वैषम्य कहाँ तक है ? और साम्य कहाँ तक ? इसकी चर्चा भी सुन्दर ढंग से की गई है । अत: यह प्रस्तुत ग्रन्थ आधुनिक पाठ्य ग्रन्थों की श्रेणी में भी सहज ही अपना एक विशिष्ट स्थान बना सकेगा । कालेज और महाविद्यालयों की उच्चतर कक्षाओं में भी यह अपना उचित स्थान प्राप्त करेगा, इसमें जरा भी सन्देह नहीं ।
'जैन-दर्शन' के परिशीलन, चिन्तन और मनन के अभाव में, अन्य दर्शनों का अध्ययन ग्रपूर्ण ही रहता है । वह इसलिए कि जैन दर्शन में ग्राकर समस्त अन्य दर्शनों के मतभेद विलुप्त हो जाते हैं । जैन दर्शन का अपना एक ही विशिष्ट दृष्टिकोण है, कि वह विभिन्न दार्शनिक दृष्टियों में प्रच्छन सत्य को प्रकट कर देता है । ग्रन्य दर्शनों में दोष-दर्शन, यही मुख्य नहीं है, किन्तु उन दार्शनिक मतभेदों के बीच मतैक्य कहाँ है ? और वह दूर कैसे हो सकता है ? इस तथ्य का अनुसन्धान ही जैन दर्शन का अपना मुख्य विषय है । विभिन्न दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन, जो आज के युग की सबसे बड़ी श्रावश्यकता है, उसकी पूर्ति ग्राज से ढाई हजार वर्षो से जैन दर्शन निरन्तर करता चला आया है । यही कारण है, कि तत् तत् काल के जैन दर्शन सम्बद्ध ग्रन्थ केवल जैन-दर्शन का ही परिवोध नहीं कराते, वल्कि तत् तत् काल के अन्य दर्शनों का प्रामाणिक ज्ञान कराने में भी सफल साधन रहे हैं । मूल संस्कृत में विलुप्त वौद्ध ग्रन्थों और तद्गत मन्तव्यों को जानने का जितना अच्छा साधन प्रतिष्टित जैन दर्शन की ग्रन्थ-राशि है उतना अन्य नहीं । विशेषता यह है, कि दार्शनिक सूत्र काल से लेकर भाष्य, वार्तिक और टीकानुटीकाओंों के काल में भी निरन्तर एवं क्रमशः जैन दार्शनिकों ने अपने ग्रन्थ लिखे हैं, और उन में अपने काल तक को समग्र दार्शनिक सामग्री को एकत्रित करने का पूरा सत्प्रयत्न किया है ।