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(२८ ) अर्थात्-आईसा वह परम धर्म है, अहिंसा परम दान है, अहिंसा वह परम दम है, अहिंसा वह परम तप है । हे कुरुश्रेष्ठ ! ये सब फल अहिंसा के हैं। अनन्तवर्षों तक अहिंसा के गुण कहते चलो मगर पार नहीं पा सकते ।
हिंसामें धर्म नहीं होता है
Marits which accrue from non-injury can never -accrue from injury. Lotuses which grow only in water can never have fire as their source 17
अहिंसासे उत्पन्न होनेवाला धर्म हिंलासे पैदा नहीं हो सकता। जलमें उत्पन्न होनेवाले सरोज आगसे कैसे पैदा हो सकते ?। १७
हिंसा का निषेध
all the creatures from Indra down to a form like a happiness and Dislike pain.
Taking this into consideration a wise Person Should ever refrain frow cloing harm (10)..
एक छोटेसे कीट से लेकर समर्थ ईन्द्रतक सभी जीवों को सुख प्रिय और दुःख अप्रिय है। ऐसा समज कर बुद्धिमानों को कहीं भी हिंसा का आचरण नहीं करना चाहिए । १.० ।
अध्यात्मतत्त्वालोकः ॥