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सामान्य विशेष रूपकी समज.
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कोई प्रश्न करता है कि-'आप कहाँ रहते हैं। १। तब सामनेवाला जवाब देता है कि-'लोक में, फिर प्रश्न होता है कि-" कौन से लोक में रहते हो” । उत्तर मिलता है कि-'भरतखण्ड में'। फिर प्रश्न होता है "कौन से देश में रहते हो" । जवाब दिया जाता है कि-' गुजरात में' इस तरह नैगम नय सामान्य विशेषादि ज्ञान से वस्तु को नहीं मानता किन्तु आगे लिखने के मुताविक सामान्य विशेषादि अनेक रूप स वस्तु को मानता है। सामान्य होता है वह विशेष होता है और विशेष वह सामान्य होता है। इस तरह सामान्य विशेष के अनेक रुप से वस्तु को मानता है। और भी यह नय अंशग्राही होने से देश को (अंश) भी संपूर्ण सत्य मान लेता है। और भी यह नय संकल्प कल्पना को भजनेवाला है इस लिये कल्पना से भी वस्तु का व्यवहार करता है और वह एक