SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 185
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१५३) उ० नहीं। प्र० नयाभास अर्थात् क्या ? उ० अमुक धर्म को ग्रहण कर के अन्य सर्व धर्मों को जो ति रस्कृत करता है वह नयाभास कहा जाता है। य० नय कितने हैं ? उ० सात हैं। प्र. उन के क्या नाम हैं ? उ० १ नैगम, २ संग्रह, ३ व्यवहार, ४ ऋजुसूत्र, ६ शब्द, ६ सनभिरुढ, ७ एवंभूत. प्र० सात नयसमुदाय में कितने द्रव्यास्तिक कहे जाते हैं और कितने पर्यायास्तिक कहे जाते हैं ? उ० प्रथम के चार द्रव्यास्तिक नय हैं और वाकी के तीन प र्यायास्तिक नय हैं। प्र० नैगम नय किस को कहते हैं ? उ० सामान्य और विशेष आदि ज्ञान से वस्तु को नहीं मानता किन्तु सामान्य-विशेष आदि अनेक रूप से वस्तु को . स्वीकार करता है वह नैगमनय कहलाता है जैसे मैं लोक में रहता हूँ।
SR No.010319
Book TitleJain Tattvasara Saransh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandra Gani
PublisherJindattasuri Bramhacharyashram
Publication Year
Total Pages249
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy