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________________ उ० वह दृष्टि जो कि वस्तु की बाह्य अवस्था के प्रति लक्ष को आकर्षित करती है उस को व्यवहार नय कहते हैं। प्र० नय की विशिष्ट व्याख्या कहो ! उ० अभिप्राय को दर्शानेवाले शब्द, वाक्य, शास्त्र वा सिद्धान्त सब ही को नय कह सकते हैं। प्र) नय को संपूर्ण सत्य मान सकते हैं कि नहीं ? . उ० नय को संपूर्ण सत्य नहीं मान सकते । प्र० नय कितने हैं ? उ० उस की गणना नहीं हो सकती। प्र० वह कैसे समज सकते हैं ? उ० अभिप्राय या वचन समुदाय जब गणना से परे हैं तब नय उन से अभिन्न होने से उन की भी गणना नहीं हो सकती। प्र० द्रव्य किस को कहते हैं ? उ० मूल पदार्थ को द्रव्य कहते हैं। प्र० पर्याय किस को कहते हैं ? उ० द्रव्य के परिणाम को पर्याय कहते हैं। प्र. किसी वस्तु का समूल नाश और अपूर्व उत्पाद क्या हो सकता है ?
SR No.010319
Book TitleJain Tattvasara Saransh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandra Gani
PublisherJindattasuri Bramhacharyashram
Publication Year
Total Pages249
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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