________________
ANAN
Indeparty
MannKON
VIE GHARIYARAM
JARHI
Falahinde LALITamam ANTONDEN
YO
Athaan
-
प्रतिमा-पूजन के विषय पर विशेष प्रकाश.
-
-
श्रीमन्महामहोपाध्याय श्री यशोविजयजीविरचित १२५ गाथा के स्तवन में से ढाल आठवी, ह और १०
के सार में से.प्र. वह मनुष्य जो कहता है कि -" जो केवल दया है वही
शुद्ध व्यवहार है, और जो मैं करता हूँ वही शुद्ध करता
हूँ" यह उस का कहना क्या वास्तविक है ? उ० नहीं, वह वास्तविक नहीं है । इस से वह जिनेश्वर महा
प्रभु की आज्ञा का उल्लंघन करता है क्यों कि षड़काय से परिपूर्ण इस संसार में केवल दया का पालन कैसे हो
सकता हे। प्र० जिनपूजा यह एक शुभ क्रिया है और वह शुभ भाव का
कारण है और भी वह मोक्ष को देनेवाली है उस को वे लोक जो कि अपार आरंभ कहते हैं यह क्या सत्य है ?