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________________ SSC Gee *-0 22 . १८ वाँ अधिकार. . -. + प्रतिमा-पूजन से फल प्राप्त होता है । प्र. भगवान-परमात्मा की मूर्ति को पूजन से पुण्य होता है यह कथन क्या सत्य है ? अजीव से फलसिद्ध कैसे हो सकता है ? उ० अजीव की सेवा से क्या लाभ हो सकता है, ऐसा संकल्प भी नहीं करना चाहिए । जैसा आकार दृष्टि में आता है प्रायः वैसे ही आकार के धर्म विषयक मन में चितवन पैदा होता है। संपूर्ण-शुभ अंगो से सुशोभित रमणी की प्रतिकृति देखने पर वह तादृश मोहोत्पत्ति की कारणभूत होती है। कामासन की स्थापना से कामीजन कामक्रीडा विषयक विकारों का अनुभव करते हैं। योगासन के अवलोकन से योगियों की - योगाभ्यास में मति होती है ।
SR No.010319
Book TitleJain Tattvasara Saransh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandra Gani
PublisherJindattasuri Bramhacharyashram
Publication Year
Total Pages249
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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