________________
مهرههعهه
ParNTERTAIN
Puri
S TRITISH
दिELITERARY
SAMRHAASAMATION
--
6000
-
-
१४ वाँ अधिकार.
nacapasa
परोक्ष प्रमाण की सिद्धि. प्र० केवल प्रत्यक्ष को ही प्रमाणरूप से मान्य करना" यह
क्या सर्व पदार्थों की सिद्धि के लिए योग्य है ? उ० "केवल प्रत्यक्ष को ही प्रमाणरूप से स्वकिार करना" यह
कहना सर्व पदार्थों की सिद्धि के लिए ठीक नहीं है। - प्र० तव वास्तविक क्या है ? उ० शास्त्र के प्रवीणपुरुष कहते है कि-जो एक शब्द से
( पद से ) कहे जाते हैं वे सत्पद होते हैं, और जो सत्पद से वाच्य होते हैं उन का अस्तित्व होना भी अनिवार्य है । जैसे, आनंद शोकादि को पूर्वकृत शब्द विशेष में काल, स्वभाव, नियति, कर्म, उद्यम, प्राण जीव, आकाश, संसारविचार इत्यादि शब्दों में से कीसी भी शब्द को कैसा विवक्षण चेष्टा से प्रति