________________
१०
है, और इस से और भी विशेषता आ गई है कि मूर्तिपूजा निषेधक भी इस ग्रन्थ से सम्पूर्ण निरुत्तर हो जोत है । इस प्रकार का यह प्रन्थ दोनों विद्वान कर्ताओ ने पूजा का अधिकार लिखा हैं इस वास्ते हरेक मूर्तिपूजक को वांचने की प्रार्थना है । इस के सिवाय कुछ विषय फुटकर पुस्तकों से भी ले कर शरुआत के अभ्यासीयों वास्ते बडा लाभदायक संग्रह कीया गया है । इस प्रकार दूसरे भाग में जो जो पृथक् २ विषय लिखने में आये है उन को आद्योपान्त पढने की वाचकवृन्द से प्रार्थना है ।
:
प्रकाशक.