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( १०६ ) . का तात्पर्य यह है कि उस की साधना से मोक्ष निश्चितरूप
से होता है। प्र. आत्मज्ञान से क्या प्राप्त होता है ? उ० सात्मज्ञान से अनन्त चतुष्टय ( अनन्तज्ञान, अनन्तदर्शन,
अनन्तवार्य और अनन्तसुख) प्राप्त होता है, और इन से ज्ञानादि शुद्धि अनन्त होती है और उसी की साधना से निवृत्ति-मोक्ष होता है । इत्यलम् । .
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