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(२४) नवमो अधिकार.
ब्रह्म एटले शुं ?
ब्रह्म ते ज छे, जेने सिद्ध कहेवामां आवेछे, शुद्धचित्तवाला मुनियोने जे ध्यान करवा योग्य छे अने मुक्तिगृहप्रति जवानी इच्छावाळा योगियो जेने भवसमुद्रमा प्रवहण समान गणेछे. ___ जो आ सृष्टि ब्रह्ममाथी उत्पन्न थइ नथी तो ते क्याथी उत्पन्न थइ अने क्यां प्रलय थशे ?
त्रिकाळज्ञानी वीतराग योगियोए कथन कर्युछे के काळ, स्वभाव, नियति, कर्म अने उद्यम (वीर्य ) ए समवायपंचकथी सृष्टि अने संहार थायछे.
पुरातन तत्वविद् महात्माओ वदेछे के ब्रह्ममां ब्रह्म लीन थायछे अने ज्योतिमां ज्योति मळी जायछे, ए प्रवाद ब्रह्म विना केम घटे ?
विज्ञो ज्ञानने ब्रह्म अथवा ज्योति कहेछे. एक सिद्धनुं ब्रह्म (ज्ञान अथवा ज्योति ) सर्व दिशाओमां जे अनंत क्षेत्रने आश्रि रघुछे तेज क्षेत्रने आश्रि वीजा सिद्धनुं त्रीजा सिद्धन यावत् अनंत
* जेम प्रवहण-( आझ )नी मददथी समुद्रना किनारे पहोंची शकाय पण घेर पहोंचवा माटे झाझ छोडी चालवू विगेरे स्वालंबन करवू पडे तेम सिद्धना ध्यानथी संसारनो पार पामी शकाय पण मुक्तिमां पहोंचवामाटे सिद्धनुं ध्यान छोडी समभावलक्षण आत्मध्यान फरवू पडे.-पर्यायकार.