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समीक्षा
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मैं काहेका खाना पकाऊँ ? मेरे पास तो यह कोडियां थी सो आपको थाली में रखदी । अतः वह ब्राह्मण उसी समय निमित्त विचार कर पोदनापुरके राजाके पास गया और राजासे कहा कि हे राजन ! आजसे सातवें दिन पोदनापुरके राजा पर विजली पडेगी। राजाने क्रोधित होकर कहा तुम्हारे पर क्या पडेगा । ती उस ब्राह्मणने कहा-मेरे मस्तकपर दूधका अभिषेक होगा । इसपर राजाने कहा कि यह वात तुम कैसे जानी ? तो ब्राह्मणने कही मैं निमित्तज्ञानसे जानी अतः राजाने उसको वहां ही रक्खा और मंत्रीयों में मंत्र करके राजा आप तो राज्यका त्याग कर वनमें चले गये और राजा जैसा ही पुतला बनवाकर राजभवनमें विराजमान करदिया और घोषणा करदी कि राजा वीमार है वैद्योंने बोलनेकी मनाई करदी है इस लिये उनसे कोई वार्तालाप न करे जो आवे मो मुजरा भरकर चले जावें । ऐसे सातदिन पूरा होनेके समय उस स्थापित राजाके ऊपर वज्रपात पडा जिससे वह खतम होगये । आगम में स्थापनाको भी साक्षात के तुल्य ही माना है इस कारण उस पुतले में राजाकी स्थापना कर उमको गजा ही मान कर सव चलने थे और जो राजा थे उन्होंने राज्य का त्याग करदिया था इस कारण वह राजा उस समय रहा नहीं, जिसको पोदनापुरका राजा बनाया था उम पर विजली पडो इसलिये भूतकालीन राजा वच गया। इसके बाद उस ब्राह्मणका दूधसे अभिषेक हुआ वहुत धन दिया। इसके कहनेका तात्पर्य यह कि निमित्तज्ञानी भी निमित्त के वलपर अप्रगट अविद्यमान होने वाली वातको बता देता है।
इस ब्राह्मणाने राजाको भी नही देखा उनको देखे विना भी निमित्तज्ञान से यह जानलिया कि पोदनापुरके राजा पर सातवें दिन वनपात पडे । इस वातको सुनकर मंत्रीयोंने
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