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________________ जैन-परम्पगमें अनुमान-विकास : २० (५ ) आश्रयी-अनुमान-आश्रयीसे आश्रयका अनुमान करना आश्रयीअनुमान है। यथा--धूमसे अग्निका, बलाकासे जलका, विशिष्ट मेघोंसे वृष्टिका और शील-समाचारसे कुलपुत्रका अनुमान करना । शेषवत्के इन पाँचों भेदोंमें अविनाभावी एकसे शेष ( अवशेष ) का अनुमान होनेसे उन्हें शेषवत् कहा है। ___३. दिट्ठसाहम्मवं- इस अनुमानके दो भेद हैं । यथा (१) सामन्नदिट्ठ ( सामान्य-दृष्ट ) ( २ ) विसेसदिट्ट ( विशेषदृष्ट ) (१) किसी एक वस्तुको देखकर तत्सजातीय सभी वस्तुओका साधर्म्य ज्ञात करना या बहुत वस्तुओंको एक-सा देखकर किसी विशेष ( एक ) में तत्साधर्म्यका ज्ञान करना सामान्यदृष्ट है । यथा-जैसा एक मनुष्य है, वैसे बहुतसे मनुष्य हैं। जैसे बहुतसे मनुष्य हैं वैसा एक मनुष्य है। जैसा एक करिशावक है वैसे बहुतसे करिशावक हैं, जैसे बहुतसे करिशावक हैं वैसा एक करिशावक है। जैसा एक कार्षापण है वैसे अनेक कार्षापण हैं, जैसे अनेक कार्षापण हैं, वैसा एक कार्षापण है। इस प्रकार सामान्यधर्मदर्शनद्वारा ज्ञातसे अज्ञातका ज्ञान करना सामान्यदृष्ट अनुमानका प्रयोजन है। ( २ ) जो अनेक वस्तुओंमें से किसी एकको पृथक् करके उसके वैशिष्टयका प्रत्यभिज्ञान कराता है वह विशेषदष्ट है । यथा-कोई एक पुरुष बहुतसे पुरुषोंके बीचमेंसे पूर्वदृष्ट पुरुषका प्रत्यभिज्ञान करता है कि यह वही पुरुप है। या बहुतसे कार्षापणोंके मध्यमें पूर्वदृष्ट कार्षापणको देखकर प्रत्यभिज्ञा करना कि यह वही कार्षापण है । इस प्रकारका ज्ञान विशेषदृष्ट दृष्टसाधर्म्यवत् अनुमान है। २. कालभेदसे अनुमानका वैविध्य : कालकी दृष्टिमे भी अनुयोग-द्वार में अनुमानके तीन प्रकारोंका प्रतिपादन उपलब्ध है। यथा-१. अतीतकालग्रहण, २. प्रत्युत्पन्नकालग्रहण और : अनागतकालग्रहण । १. आसपणं-अग्गिं घुमेणं, सलिलं बलागेणं, बुद्धि अब्भषिकारेणं, कुलपुत्तं सीलसमाया रेणं । से तं आसएणं । से तं सेसवं । -अनुयोग० उपक्रमाधिकार प्रमाणद्वार, पृष्ठ ५४०-४१ २. से किं तं दिट्ठसाहम्मवं ? दिट्ठसाहम्मवं दुविहं पण्णत्तं । जहा-सामन्नदिटुं च विसेसदिट्टं च । -वही, पृष्ठ ५४१-४२ ३. तस्स समासओ तिविहं गहणं भवई । तं जहा–१. अतीतकालगहणं, २. पडुप्पण्ण कालगहणं, ३. अणागयकालगहणं । "। -वही, पृष्ठ ५४१-५४२ ।।
SR No.010313
Book TitleJain Tark Shastra me Anuman Vichar Aetihasik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1969
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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