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एवं स्पष्टरूपमें प्रस्तुत कर देना इस ग्रन्थका अपना मूल्य है। मैं विश्वासपूर्वक कह सकता हूँ कि प्रस्तुत ग्रन्थने न्यायशास्त्रको श्रीवृद्धि की है। मैं डॉ० कोठियाको हृदयसे बधाई देता हूँ और आशा व्यक्त करता हूँ कि उनकी लेखनीसे इस प्रकारकी समालोचनात्मक महत्त्वपूर्ण तर्कशास्त्र सम्बन्धी अन्य कृतियाँ भी निबद्ध होंगी। हिन्दी भाषा और साहित्यको यह अभिवृद्धि तकनीकी वाङ्मयके निर्माणकी दृष्टिसे विशेष इलाध्य है।
मरस्वती श्रुतमहतो न हीयताम्
ह० दा० जैन कॉलेज, आरा
मगध विश्वविद्यालय वैशाखी पूर्णिमा, वि० सं० २०२६
नेमिचन्द्र शास्त्री, एम० ए०, पी-एच० डी०, डी० लिट.
ज्योतिषाचार्य न्याय-काव्यतीर्थ अध्यक्ष-संस्कृत-प्राकृत-विभाग