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दसवैकालिक सूत्र अ ५-१
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अप्पे सिया भोयणजाए बहु-उझिय-धम्मिए । दितिय पडियाइक्खे, "न मे कप्पइ तारिस" ७४। तहेवुच्चावय पाण, अदुवा वार-धोयण । संसेइम चाउलोदग, अहुणाधोय विवज्जए ७॥ ज जाणेज्ज चिराधोय, मईए दसणेण वा । पडिपुच्छिऊण सुच्चा वा, ज च निस्सकिय भवे ७६! अजीवं परिणयं नच्चा, पडिगाहिज्ज संजए । अहसकिय भविज्जा, प्रासाइत्ताण रोयए ७७। "योवमासायणट्ठाए, हत्थगम्मि दलाहि मे। मा मे अच्चबिलं पूय, नाल तिण्ह विणित्तए १७८। त च अच्चबिल पूय, नाल तिण्ह विणित्तए । दितिय पडियाइक्खे, "न मे कप्पइ तारिस" ७६। त च हुज्ज अकामेण, विमणेण पडिच्छिय । त अप्पणा न पिवे, नोवि अन्नस्स दावए 1८० एगतमवक्कमित्ता, अचित्त पडिलेहिया । जय परि?विज्जा, परिठ्ठप्प पडिस्कमे ।८१॥ सिया य गोयरग्गगयो, इच्छिज्जा परिभुत्तुय । कुट्ठग भित्ति-मूल वा, पडिलेहित्ताण फासुयं ।८२। अणुन्नवित्तु मेहावी, पडिच्छिन्नम्मि सवडे । हत्थग सपमज्जित्ता, तत्थ भुजिज्ज सजए ८३। तत्थ से भुजमाणस्स अट्ठिय कटो लिया । तण-कट्ठ-सक्कर वावि अन्न वावि तहाविहं ।८४॥ त उक्खिवित्तु न निक्खिवे, आसएण न छड्डए ।