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(३६) . जैन सुवोध गुटका । सुंहावे ॥ ७॥ बैठ मंडली पिवो तमाखू, आनो रोज बि- गाड़ो। एक वर्ष को लाभ खरच थे, पति राज विचारो ॥८॥पी तमाखू गया दुकान पे, नान्ये चिलम उठाई। . मना कियो मान्यो नहीं मारो, उलटी करी लड़ाई ॥ ६॥ सूता बैठा प्रभुनाथ तज,याद तमाखू आवे । अंत समयभी हायः .: तमाखू, जिवड़ो यो डुल जावे ॥१०॥ विडी सिगरेट जरदो : तमाखू, से दुखिया हिंदुस्तान । क्रोडो रुपेका सालमें सरे होय रयो नुकसान ॥ ११ ॥ गुरू प्रसाद चौथमल कहे,आज सभा दरम्यान । सुंदर को केनो जो माने, सो प्रतिम सुजान ॥ १२॥
___५२ शिक्षा दर्पण.
(तर्ज-ल वणी लंगडी) अच्छी सोवत मिली पुण्य से, तुझको शुद्ध बनना चहिये । बद सोबत पाकर तरेको, कभी विगडना ना चहिये ।। टेर ॥ निर्दोष देवकी सेवा करो, कुदेव को ध्याना ना चहिये। रत्न मिले तो फिर पापाण उठाना ना चहिये । जो राणी मिली तो महेतराणी से, प्रेम लगाना ना चहिये । जोहरी होकर तुझे खोटा, न कभी खाना चाहिये । मात पिता भाइयों के साथ में, तुझको लड़ना ना चहिये ॥१॥ सब से प्रीति रखना तुझको वैर बसाना ना चाहिये । रस्तमें चलते तेरेको, पांव धीसनाना चाहिये। हर. बातों में तेरेको.. कभी रिसाना ना चहिये। मिष्ठ वाक्य वशीकरण मंत्र है,