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जैन सुवोध गुटका । (२८३) वासियों। वरना तुम पछतावोगे, लो मान किसी दिन ॥६॥
३८७ क्षमा [ तर्जकही मुश्किल जैन फकीरी ] गम खाना चीज बड़ी है, कोई नर देखोरे गम खाय के ॥टेक ॥ गम खाई महावीर जी वन में, घोर परीषा सहे हैं तन में, राग द्वेष को जीता छिनमें, शुक्ल ध्यान को ध्याय के मिली केवल ज्ञान शिरी है ॥ १॥ गम खाई मुनिराज उदाई, भाणेजे दिया जहर दिलाई, समता दिल में ऐसी ठाई. दिने कर्म खपायके, गए मोक्ष में उसी घड़ी है॥२॥ गम खा राम बनवास सिधारे, पिता बचन शीप पर धारे, कैकई पै न किया रोप लगारे, गए विपिन बीच हुलसाय के, जाके कंधे वीर पड़ी है ॥३॥ दिया जहर और किया अकाजा, राणी ने नहीं रखा मुलाजा, गम खाई परदेशी राजा, हुवा देव स्वर्ग में जाय के, देवियां कर जोड़ खड़ी है ॥ ४ ॥ सुदर्शन सेठ ने भी गम खाई, शूली पर दिया भूप चढ़ाई, देव सिंहासण दिया बनाई, सकल विषन हटाय के, सत्य धर्म की महिमा करी है ॥५॥ ऐसे जो कोई गम खावे, सो नर मन वंछित फल पावे, चौथमल तो साफ सुनावे, उलट भावना लायके, पियो संमता रस जड़ी है ॥६॥