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जैन सुवोध गुटका।
नशा करके सुना. गाना, और खाना फर्ज माना।। ऊंच हो नीच नारी संग करो क्यों प्यार तुम झटपट ॥१॥ ले हथियार जंगल में, जाकर बैठ जाते हों । बड़ी खुशी मनाते हो, खेल शिकार तुम झटपट ।। २॥ एड़ो इतिहास और देखो, करा क्या काम पुरखों ने. । सत्यता वीरता दिखला, वनो सरदार तुम भ.टपट ॥३॥ था पृथ्वीराज वो चौहान वना अयासी एकदम स । ख.या राज. यह सोची, बनो तैयार तुम झटपट ।। ४-॥ हुए प्रताप से भूपत, सहे' सदमें विपिन में जा । रखा था धर्म यह बातें, न दो विसार तुम झटपट ॥ ५ ॥ रखेगा धर्म को कोई, उसे करतार रखता है। चौथमल | करेः शिक्षा, उसे लो धार तुम झटपट ॥६॥
. ३८१ उपदेशक का कर्तव्य,
(तर्ज-पूर्ववत्) ___तुमारी देख के बादत, नहीं उपदेश दे सकते । मगर सच्ची कहे विन हम भी हरगिज रह नहीं सकते ॥ टेर ।। असली शेर होकर आप, साथ कुत्ति के रमते हो । इसी तुफैल से तारीफ, जां में ले नहीं सकते ॥ १॥धरा रख के दबाते हो, जाल का खंत बनाते हो । जुल्म ऐसे कमाते हो, लिहाज से कह नहीं सकते. ॥ २॥ नशे में चूर रहते हो, सत्संग से दूर रहते हो।.नर्क के दुख हैं ऐसे, जिसे तुम संह